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मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ / Main Panjtani Panjtani Panjtani Hoon

बेदम ! यही तो पाँच हैं मक़्सूद-ए-काइनात ख़ैरुन्निसा, हुसैन-ओ-हसन, मुस्तफ़ा, 'अली मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ ईमाँ है मेरा नार-ए-जहन्नम से बरी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ जब से ग़ुलाम-ए-हैदर-ए-कर्रार हो गया आ'ला जहाँ में मेरा भी किरदार हो गया मैं ख़ादिम-ए-सरकार हूँ, शैदा-ए-'अली हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ सोया हुआ नसीब जगाते हैं पंजतन उजड़े हुए घरों को बसाते हैं पंजतन उन की नवाज़िशात से देखो मैं ग़नी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मशहूर है जहाँ में सख़ावत हुसैन की होने लगी है मुझ पे 'इनायत हुसैन की अपनाई जब से उन की अदाएँ, मैं ग़नी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ होंटों पे मेरे देखिए हैदर की बात है शेर-ए-ख़ुदा की, फ़ातेह-ए-ख़ैबर की बात है मैं बंदा-ए-मौलाई हूँ, क़िस्मत का धनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ क्या हूँ जो मैं बयाँ करूँ शान-ए-हुसैन को लिक्खेगा क्या क़लम मेरा ज...

अफ़ज़ल है कुल जहाँ में घराना हुसैन का | नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का / Afzal Hai Kul Jahan Mein Gharana Hussain Ka | Nabiyon Ka Tajdar Hai Nana Hussain Ka

अफ़ज़ल है कुल जहाँ में घराना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का शेर-ए-ख़ुदा के शेर हैं शब्बीर देखिए कैसी चला रहे हैं वो शमशीर देखिए हैदर का है निशाना, निशाना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का होश उड़ गए हैं देख के सारे जहान के आँसू निकल पड़े हैं कभी आसमान के अकबर को घोड़े पर वो चढ़ाना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का दौलत पे मरने वाले यज़ीदी को क्या ख़बर शब्बीर कर्बला में अगर मार दें ठोकर हो सारे कर्बला में ख़ज़ाना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का ज़ैनब भी साथ में है, सकीना भी साथ में चर्चे हैं जिन की ज़ात के कुल काइनात में कर्ब-ओ-बला में सब है घराना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का फ़ौज-ए-यज़ीदियत का नशा ही उतर गया मंज़र ये देख देख के लश्कर बिखर गया 'अब्बास का 'अलम वो उठाना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का ना'त-ख़्वाँ: मुहम्मद अली फ़ैज़ी afzal hai kul jahaan me.n gharana husain ka nabiyo.n ka taajdaar hai naana husain ka sher-e-KHuda ke sher hai.n shabbir dekhiye kaisi chala rahe hai.n wo sham...

अपने नाना का वादा निभाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं / Apne Nana Ka Wada Nibhane Karbala Mein Hussain Aa Rahe Hain

हुसैन आ रहे हैं, हुसैन आ रहे हैं हुसैन आ रहे हैं, हुसैन आ रहे हैं कर्बला में हुसैन आ रहे हैं कर्बला में हुसैन आ रहे हैं अपने नाना का वा'दा निभाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं दीन की शान-ओ-शौकत बचाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं नबी के नूर-ए-'ऐन ! 'अली के दिल का चैन ! सय्यिदा फ़ातिमा के प्यारे हैं हुसैन इक तरफ़ है हज़ारों का लश्कर एक जानिब फ़क़त हैं बहत्तर अपने बाबा की जुरअत दिखाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं अपने नाना का वा'दा निभाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं दीन-ए-हक़ का 'अलम हाथ में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-'अली साथ में है क़स्र-ए-ज़ुल्म-ओ-सितम को गिराने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं हुसैन आ रहे हैं, हुसैन आ रहे हैं चराग़-ए-'इश्क़-ए-हुसैनी जला मुहर्रम में यज़ीदियत का दिया बुझ गया मुहर्रम में ख़ुदा-ए-पाक की बरसेंगी रहमतें तुझ पर हसन हुसैन की महफ़िल सजा मुहर्रम में न आज तक वो उट्ठा और न उट्ठेगा कभी यज़ीदियत का महल यूँ गिरा मुहर्रम में जहाँ में हक़्क़-ओ-सदाक़त का बोल-बाला है मुनाफ़िक़त का ख़ातिमा हुआ मुहर्रम में अपने नाना का वा'दा निभाने कर्बला में हुसैन आ रहे...

बढ़े जो कर के वो सू-ए-शह-ए-अनाम सलाम / Badhe Jo Kar Ke Wo Soo-e-Shah-e-Anam Salam

बढ़े जो कर के वो सू-ए-शह-ए-अनाम सलाम सदाएँ आती थीं हर सम्त से सलाम सलाम बड़ा हुजूम था तयबा की पहली मंज़िल पर खड़े थे राह में करने को ख़ास-ओ-'आम सलाम चले हुसैन जो तयबा से कर्बला की तरफ़ जहाँ पहुँचते थे करता था वो मक़ाम सलाम जो 'अज़्म कर के चले थे वो कर्बला पहुँचे अगरचे राह में आते रहे पयाम सलाम ज़मीन-ए-मंज़िल-ए-मक़्सूद ने क़दम चूमे फ़लक ने दूर से झुक कर कहा, इमाम सलाम ये शाह वो जिन्हें सब शाह शाह कहते हैं इमाम वो जिन्हें करते हैं सब इमाम सलाम सलाम-ए-बंदा-ए-'आसी क़बूल हो, शाहा ! तुम्हारी आल पर, औलाद पर मुदाम सलाम उन्हें सलाम, मुनव्वर ! ये चाहता है जी तमाम 'उम्र लिखूँ और न हो तमाम सलाम शायर: मुनव्वर बदायुनी ना'त-ख़्वाँ: ज़ुल्फ़िक़ार अली हुसैनी ओवैस रज़ा क़ादरी ba.Dhe jo kar ke wo soo-e-shah-e-anaam salaam sadaae.n aati thi.n har samt se salaam salaam ba.Da hujoom tha tayba ki pehli manzil par kha.De the raah me.n karne ko KHaas-o-'aam salaam chale husain jo tayba se karbala ki taraf jahaa.n pahunchte the karta tha wo maqaam salaam jo 'az...

मैं हूँ हुसैनी और ज़माना हुसैन का / Main Hun Hussaini Aur Zamana Hussain Ka

'इश्क़ मेरा है हुसैन ! प्यार मेरा है हुसैन ! मैं भी कहूँ या हुसैन ! तुम भी कहो या हुसैन ! हर घर में या हुसैन ! हर लब पे या हुसैन ! हम सब की है सदा या हुसैन ! दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का मैं हूँ हुसैनी और ज़माना हुसैन का दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का बे-मिस्ल है जहाँ में तेरा काम, या हुसैन ! वलियों का है वज़ीफ़ा तेरा नाम, या हुसैन ! आ आ के चूमते हैं फ़रिश्ते भी रात-दिन क्या दिल-नशीं हैं तेरे दर-ओ-बाम, या हुसैन ! दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का बज़्म-ए-हुसैन मिल के सजाओ, हुसैनियो ! शान-ए-हुसैन सब को सुनाओ, हुसैनियो ! कैसे यज़ीदियों को पछाड़ा हुसैन ने मिल कर ये कुल जहाँ को बताओ, हुसैनियो ! दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का मैं हूँ हुसैनी और ज़माना हुसैन का दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का दुनिया में ऐसा कोई भी मोमिन मिला नहीं सुल्तान-ए-कर्बला पे जो दिल से फ़िदा नहीं नहर-ए-फ़ुरात आज भी देती है ये सदा 'अब्बास सा जहाँ में कोई बा-वफ़ा नहीं दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का इस्लाम की बक़ा के लिए शाह-ए-कर्बला इक एक कर के सारा घराना...

अल-मदद मौला हुसैन फ़ातिमा ज़हरा के चैन / Al Madad Maula Hussain Fatima Zahra Ke Chain

अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! ज़हरा की निगाहों का है नूर-ए-नज़र शब्बीर मौला-ए-विलायत का है लख़्त-ए-जिगर शब्बीर सुल्तान-ए-मदीना का बे-मिस्ल गुहर शब्बीर अल्लाह के शेरों का है शेर-ए-बबर शब्बीर अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! फ़ैज़ान-ए-नबी से है सैराब मेरा शब्बीर है चर्ख़-ए-शहादत का महताब मेरा शब्बीर मिलता ही नहीं हम-सर दुनिया में कहीं जिस का ज़हरा का है वो दुर्र-ए-नायाब मेरा शब्बीर अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! महताब-ओ-गगन बहर-ए-ज़ख़्ख़ार हुसैनी है मौला के करम से ये संसार हुसैनी है ये दिल भी हुसैनी है, ये जाँ भी हुसैनी है इस्लाम की फ़ितरत का हर तार हुसैनी है अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! कर्बल की ज़मीं पर इक नायाब सा मंज़र है इक सम्त हज़ारों हैं, इक सम्त बहत्तर है फिर ग़ौल-ए-यज़ीदी में क्यूँ ख़ौफ़ है भगदड़ है मैदान में निकला जब वो सिब्त-ए-पयम्बर है अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा ...

हुसैन तुम को ज़माना सलाम कहता है / Hussain Tum Ko Zamana Salam Kehta Hai

हुसैन ! तुम को ज़माना सलाम कहता है तुम्हारे सज्दे को का'बा सलाम कहता है जलाल-ए-क़ुब्बा-ए-ख़ज़रा सलाम कहता है चमन का हर गुल-ओ-ग़ुंचा सलाम कहता है हुसैन ! तुम को ज़माना सलाम कहता है हुसैन ! तुम को ज़माना सलाम कहता है चराग़-ओ-मस्जिद-ओ-मिम्बर सलाम कहते हैं नबी, रसूल-ओ-पयम्बर सलाम कहते हैं 'अली-ओ-फ़ातिमा, शब्बर सलाम कहते हैं ख़ुदा गवाह कि नाना सलाम कहता है हुसैन ! तुम को ज़माना सलाम कहता है ख़ुदा की राह में सर को कटा दिया तुम ने नबी के दीन पे घर को लुटा दिया तुम ने निशान-ए-कुफ़्र को यकसर मिटा दिया तुम ने तुम्हें ख़ुदा भी तुम्हारा सलाम कहता है हुसैन ! तुम को ज़माना सलाम कहता है तुम्हें फ़लक के सितारे सलाम कहते हैं तुम्हें क़ुरआन के पारे सलाम कहते हैं तुम्हें हरम के मिनारे सलाम कहते हैं इमाम ! तुम को मदीना सलाम कहता है हुसैन ! तुम को ज़माना सलाम कहता है सना तुम्हारी वज़ीफ़ा है मेरा आबाई तुम्हारी मद्ह तो शेवा है मेरा, मौलाई ! बस इक नज़र हो जो मुझ पर तो मेरी बन आई तुम्हारा सय्यिद -ए-शैदा सलाम कहता है हुसैन ! तुम को ज़माना सलाम कहता है शायर: सय्यिद शाह आल-ए-मुस्तफ़ा सय्यिद मियाँ मार...

हुसैन की ये मोहब्बत है और मुसलसल है / Hussain Ki Ye Mohabbat Hai Aur Musalsal Hai

न पूछ कैसे कोई शाह-ए-मशरिक़ैन बना बशर कहूँ उसे, 'अक़ीदत का ज़ेब-ओ-ज़ैन बना 'अली का ख़ून, लु'आब-ए-रसूल, शीर-ए-बतूल मिले हैं जब ये 'अनासिर तो फिर हुसैन बना हुसैन की ये मोहब्बत है और मुसलसल है ये किब्रिया की 'इनायत है और मुसलसल है हुसैन की ये मोहब्बत है और मुसलसल है नसीब में जो न हो वो हुसैन से माँगो याँ माँगने की 'इजाज़त है और मुसलसल है हुसैन की ये मोहब्बत है और मुसलसल है बता दिया है नबी के तवील सज्दे ने हुसैन रूह-ए-'इबादत है और मुसलसल है हुसैन की ये मोहब्बत है और मुसलसल है हुसैन तेरी मोहब्बत में मौत आती नहीं यही तो राह-ए-शहादत है और मुसलसल है हुसैन की ये मोहब्बत है और मुसलसल है हुसैन फ़ातेह-ए-'आलम है तय हुआ है, बतूल ! यज़ीद के लिए ला'नत है और मुसलसल है हुसैन की ये मोहब्बत है और मुसलसल है शा'इरा: सय्यिदा फ़ख़्रा बतूल नक़वी सना-ख़्वाँ: मास्टर अली ज़ामिन na poochh kaise koi shaah-e-mashriqain bana bashar kahu.n use, 'aqeedat ka zeb-o-zain bana 'ali ka KHoon, lu'aab-e-rasool, sheer-e-batool mile hai.n jab ye...

हर ज़माना मेरे हुसैन का है / Har Zamana Mere Hussain Ka Hai

हर ज़माना मेरे हुसैन का है जान माँगो, मैं दिल नहीं दूँगा दिल ठिकाना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है जिस की ख़ातिर ये काइनात बनी ऐसा नाना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है जिस पे हर इक दुरूद पढ़ता है वो घराना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है ये जो का'बा है तुम न समझोगे घर पुराना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है रात से दिन जो ये निकलता है मुस्कुराना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है तुम जिसे आसमाँ समझते हो शामियाना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है कोई पूछे ये दौर किस का है तुम बताना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है बोलीं ज़हरा ये अश्क दो मुझ को ये ख़ज़ाना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है उग रहा है जो बा'द-ए-कर्ब-ओ-बला दाना दाना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है जिस जगह हुर्र बनाए जाते हैं कारख़ाना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है जब से घर में सजे है मेरे 'अलम आना जाना मेरे हुसैन का है हर ज़माना मेरे हुसैन का है मुझ में, रेहान ! ये श'ऊर जो है शा...

कर्बल में आल-ए-रसूल | आए दीन का गुलशन बचाने के लिए / Karbal Mein Aal-e-Rasool | Aaye Deen Ka Gulshan Bachane Ke Liye

कर्बल में आल-ए-रसूल, बाग़-ए-सय्यिदा के फूल आए दीन का गुलशन बचाने के लिए हैदर के लख़्त-ए-जिगर, कर के तयबा से सफ़र आए दीन का गुलशन बचाने के लिए एक तरफ़ थे सिर्फ़ बहत्तर एक तरफ़ लाखों का लश्कर ऐसी हैबत थी तारी, बहत्तर लाखों पे भारी इक सबक़ दे दिया है ज़माने के लिए शब्बीर पीते हैं जाम-ए-शहादत या करते हैं रब की 'इबादत सर पे 'अज़मत का है ताज, रन में पढ़ते हैं नमाज़ अपने नाना की उम्मत बचाने के लिए प्यास का 'आलम, होंट जो खोले झूले से 'अली असग़र बोले बाबा ! अब कर दो क़ुर्बान, मेरी नन्ही सी ये जान दिल है बेताब अब तीर खाने के लिए मैदान में 'अली अकबर आए सारे यज़ीदी के दिल थर्राए रन में गरजे जैसे शेर, कितने दुश्मन हो गए ढेर ढूँडे दुश्मन जगह मुँह छुपाने के लिए यौम-ए-जज़ा तक याद करेंगे शाकिर ! हम फ़रियाद करेंगे मेरे मौला ! कर एहसान, हम भी हो जाएँ क़ुर्बान अपने प्यारे नबी के घराने के लिए शायर: एहसान शाकिर आज़मी ना'त-ख़्वाँ: एहसान शाकिर आज़मी karbal me.n aal-e-rasool, baaG-e-sayyida ke phool aae deen ka gulshan bachaane ke liye haidar ke laKHt-e-jig...

सरापा सिद्क़-ओ-सफ़ा को हुसैन कहते हैं / Sarapa Sidq-o-Safa Ko Hussain Kehte Hain

सलाम सलाम सलाम या हुसैन ! सलाम सलाम सलाम या हुसैन ! ज़मीन-ओ-आसमान में हुसैन सा कोई नहीं ख़ुदा के इस जहान में हुसैन सा कोई नहीं रिज़ा-ए-हक़ पे कर्बला में अपना सब लुटा दिया ख़ुदा के इस जहान में हुसैन सा कोई नहीं हुसैन सा कोई नहीं, हुसैन सा कोई नहीं हुसैन सा कोई नहीं, हुसैन सा कोई नहीं लिखेगा कौन इस तरह शहादतों की दास्ताँ ? किसी के ख़ानदान में हुसैन सा कोई नहीं करेगा कौन सामना यज़ीद-ए-वक़्त का यहाँ ? हमारे दरमियान में हुसैन सा कोई नहीं हुसैन सा कोई नहीं, हुसैन सा कोई नहीं हुसैन सा कोई नहीं, हुसैन सा कोई नहीं सरापा सिद्क़-ओ-सफ़ा को हुसैन कहते हैं 'अता-ए-शेर-ए-ख़ुदा को हुसैन कहते हैं हुसैनियत का ज़माने में होता है चर्चा यज़ीदियत का निशाँ भी कहीं नहीं मिलता इसी लिए तो लगाते हैं अहल-ए-हक़ ना'रा फ़ना यज़ीद, बक़ा को हुसैन कहते हैं सरापा सिद्क़-ओ-सफ़ा को हुसैन कहते हैं 'अता-ए-शेर-ए-ख़ुदा को हुसैन कहते हैं सलाम या हुसैन ! सलाम या हुसैन ! सलाम या हुसैन ! सलाम या हुसैन ! हुसैन नाम है शफ़क़त का, मेहरबानी का हुसैन नाम है जुरअत का, कामरानी का सबब हुसैन है बातिल की ना-तवानी का मुजाहिद...