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मैं ख़्वाजा का दीवाना / Main Khwaja Ka Deewana

चराग़-ए-चिश्त शह-ए-औलिया ग़रीब नवाज़ ! मेरे हुज़ूर मेरे पेशवा ग़रीब नवाज़ ! मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना ऐ गर्दिश-ए-ज़माना ! मेरे सामने न आना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना आल-ए-रसूल-ए-पाक हैं, मौला 'अली के प्यारे हसनैन के हैं दिलबर, दुखियों के हैं सहारे जिस को यक़ीं न आए, दिल से उन्हें पुकारे आता है उन को सब की बिगड़ी हुई बनाना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना ऐ गर्दिश-ए-ज़माना ! मेरे सामने न आना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना मशहूर है जहाँ में अजमेर जिन के दम से मिलती है सिलसिले की निस्बत शह-ए-उमम से तब्लीग़-ए-दीन यूँ की अल्लाह के करम से ख़ल्क़-ए-ख़ुदा ने पाया ईमान का ख़ज़ाना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना ऐ गर्दिश-ए-ज़माना ! मेरे सामने न आना मैं ख़्वाजा का दीवाना, मैं ख़्वाजा का दीवाना मैं ख़्वाजा का दीव...

रूपम् अनुपम् सुंदर मनोरम् मन मोहनम् है श्रीमंत ख़्वाजा / Roopam Anupam Sundar Manoram Man Mohanam Hai Shreemant Khwaja

हिन्दुस्तान अस्ल में वलियों का देश है शाहों का नहीं बल्कि फ़क़ीरों का देश है सब अपने अपने सूबे के हैं चीफ़ मिनिस्टर अजमेर में रहता है इन का प्राइम मिनिस्टर रूपम् अनुपम् सुंदर मनोरम् मन मोहनम् है श्रीमंत ख़्वाजा प्रकाशरूपी है कंचन काया अति सुंदरम् है श्रीमंत ख़्वाजा शाह-ए-उमम च 'अली हैदरम् फ़ातिमा एवं हसनैन कुल सत्यम् भवत: पवित्रम् कुटुंब पंजतन अति पावनम् है श्रीमंत ख़्वाजा दयालु दयानंद दयावान दानी कृपालु कृपालम् है कृपाल निधि बड़े दान दाता बड़े दुःख-निवारक सख़ी सुंदरम् है श्रीमंत ख़्वाजा जननी पवित्रम् है उम्मुलवरा बी पित्र ग़्यासुद्दीं संजर निवासी सतगुरु प्राप्तम् है उस्मान-ए-हारूँ प्रिय दर्शनम् है श्रीमंत ख़्वाजा ईश्वर के प्रियतम महा दिव्य ज्ञानी रसूलस्य वचनम् कृत प्रतिनिधि भारत की धरती पवित्रम् भवति अभिनंदनम् है श्रीमंत ख़्वाजा छटी शुभ दिवस है अति पावनम् गाओ रे चिश्तियो ! मंगल गीतम् अजमेर नगरी भवत् स्वर्गरूपी शुभ मंगलम् है श्रीमंत ख़्वाजा जीवन का 'आसिम को वरदान दे दो, अपनी लगन का इसे ज्ञान दे दो तुमरी दुवरिया पे आस लगाए नतमस्तकम् है, श्रीमंत ख़्वाजा ! ख़्वाजा-ए-हिन्दल-वली,...

अपने हालात को मैं बताऊँ किसे तेरे होते हुए ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ / Apne Halat Ko Main Bataun Kise Tere Hote Hue Khwaja-e-Khwajgan

अपने हालात को मैं बताऊँ किसे तेरे होते हुए, ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ ! दुख भरी दास्ताँ मैं सुनाऊँ किसे तेरे होते हुए, ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ ! तेरे मय-ख़ाने से जाम पी कर के मैं मस्त ऐसा हुआ, लोग हैरान थे कैफ़ियत दिल की अपने दिखाऊँ किसे तेरे होते हुए, ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ ! एहतिराम करो सारे 'उश्शाक़ का ये कहा है बुर्ज़ुर्गों ने लेकिन सुनो एक दिल है मैं उस दिल में लाऊँ किसे तेरे होते हुए, ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ ! मेरे अशरफ़ पिया का करम ही तो है, जो ग़ुलामी मिली तेरे दर की मुझे दिल में तेरे सिवा मैं बसाऊँ किसे तेरे होते हुए, ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ ! कितना है मस्त अशरफ़ तेरे 'इश्क़ में, सुनता है ही नहीं वो किसी की सदा बस वो कहता है इस दिल में लाऊँ किसे तेरे होते हुए, ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगाँ ! शायर: सय्यिद मुहम्मद अशरफ़ अशरफ़ी ना'त-ख़्वाँ: मुईनुद्दीन बुलबुल-ए-मुस्तजाब apne haalaat ko mai.n bataau.n kise tere hote hue, KHwaja-e-KHwajgaa.n dukh bhari daastaa.n mai.n sunaau.n kise tere hote hue, KHwaja-e-KHwajgaa.n tere mai-KHaane se jaam pi kar ke mai.n aisa mast huaa, log hairaan ...

मेरे मौला मेरे यावर मेरे मुश्किल-कुशा ख़्वाजा / Mere Maula Mere Yawar Mere Mushkil Kusha Khwaja

मेरे मौला मेरे यावर मेरे मुश्किल-कुशा ख़्वाजा ! ग़रीबों का दो 'आलम में तुम्ही हो आसरा, ख़्वाजा ! मेरी औक़ात ही क्या है लिखूँ तेरी सना, ख़्वाजा ! लिखूँ जो भी तेरा रुत्बा है उस से मा-वरा, ख़्वाजा ! रसूलुल्लाह ने तुम को हुकूमत हिन्द की बख़्शी रहोगे तुम क़यामत तक यहाँ फ़रमाँ-रवा, ख़्वाजा ! सदाक़त में, 'अदालत में, सख़ावत में, शुजा'अत में नबी के चार यारों का हैं रौशन आईना ख़्वाजा हुसैन इब्न-ए-'अली हैं दीं, बिना-ए-दीं, पनाह-ए-दीं खुले हम पर तेरे अश'आर से असरार, या ख़्वाजा ! सलातीन-ए-जहाँ दर पर भिकारी बन के आते हैं हुकूमत ले के फिरते हैं तेरे दर के गदा, ख़्वाजा ! तेरे दरबार-ए-आली में दु'आएँ रद नहीं होती इमाम अहमद रज़ा ने अपने फ़तवे में लिखा, ख़्वाजा ! इमाम अहमद रज़ा ने ये ब-ख़त्त-ए-नूर लिक्खा है निशान-ए-ख़ुल्द है तेरा मुबारक ज़ाविया, ख़्वाजा ! इमाम अहमद रज़ा ने सुन्नियों को ये बताया है दिलेरी दबदबा शौकत तेरे औसाफ़, या ख़्वाजा ! वहाबी लाख फ़तवे शिर्क के बक लें मगर सुन्नी मदद के वास्ते तुम को पुकारेंगे सदा, ख़्वाजा ! मुसलमानो ! न घबराओ हुकूमत के मज़ालिम से तुम्हारी ज़िंदगी है और ...

माँ-बाप ने जीने के हमें ढंग सिखाए / Maa Baap Ne Jeene Ke Hamein Dhang Sikhaye

माँ-बाप ने जीने के हमें ढंग सिखाए माँ-बाप के बा'इस ही तो इस दुनिया में आए जब बोल न सकते थे कोई लफ़्ज़ ज़ुबाँ से ये तब भी समझते थे सब एहसास हमारे क्यूँ इन को समझ लेते हैं हम लोग पराए माँ-बाप के बा'इस ही तो इस दुनिया में आए माँ-बाप ने जीने के हमें ढंग सिखाए माँ-बाप के बा'इस ही तो इस दुनिया में आए माँ-बाप ने दुनिया में हमें चलना सिखाया माँ-बाप ने हर हाल में इस्कूल पढ़ाया ज़ालिम है जो माँ-बाप के एहसान भुलाए माँ-बाप के बा'इस ही तो इस दुनिया में आए माँ-बाप ने जीने के हमें ढंग सिखाए माँ-बाप के बा'इस ही तो इस दुनिया में आए आक़ा ने बताई है बहुत इन की फ़ज़ीलत माँ-बाप की ख़िदमत से ख़ुदा देता है जन्नत अल्लाह का ग़ज़ब उस पे है जो इन को सताए माँ-बाप के बा'इस ही तो इस दुनिया में आए माँ-बाप ने जीने के हमें ढंग सिखाए माँ-बाप के बा'इस ही तो इस दुनिया में आए माँ-बाप की मौजूदगी अल्लाह की 'अता है और इन की रज़ा में ही तो ख़ालिक़ की रज़ा है शाहीन भला फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा क्यूँ न कमाए माँ-बाप के बा'इस ही तो इस दुनिया में आए माँ-बाप ने जीने के हमें ढंग सिखाए माँ-बाप के बा...

न ऐसी ज़ुल्फ़ें न ऐसा चेहरा न यूँ किसी पे शबाब होगा / Na Aisi Zulfein Na Aisa Chehra Na Yun Kisi Pe Shabab Hoga

न ऐसी ज़ुल्फ़ें, न ऐसा चेहरा, न यूँ किसी पे शबाब होगा जवाब होंगे सभी के लेकिन, न मुस्तफ़ा का जवाब होगा जो चेहरा निकले तो होगी सुब्ह, जो ज़ुल्फ़ बिखरे तो रात होगी पसीना उन का गिरेगा जिस पर, वही तो ज़र्रा गुलाब होगा ब-रोज़-ए-महशर हसीन सारे, इकट्ठे होंगे मुक़ाबले को तो सब से पहले यक़ीन मानो बिलाल का इंतिख़ाब होगा कि इतने लाशे पड़े हैं करबल, हुसैन का सर कहाँ है बोलो ? जवाब आया, कहीं वो नेज़े पे पढ़ता उम्म-उल-किताब होगा नबी का रौज़ा हमारी जाँ है, उसी के दर्शन से ज़िंदगी है कभी जो निकले कू-ए-नबी से तो मरना-जीना 'अज़ाब होगा ये ज़ेर-ए-मदफ़न फ़रिश्ते बोले, सुनाओ आक़ा की ना'त, हाकिम ! तुम्हें सुना कर सवाब होगा, तो हम को सुन कर सवाब होगा शायर: अहमद अली हाकिम ना'त-ख़्वाँ: अहमद अली हाकिम सय्यिद अरशद शाह जावेद रज़ा अब्दुल अज़ीज़ मुहम्मदी na aisi zulfe.n na aisa chehra na yu.n kisi pe shabaab hoga jawaab honge sabhi ke lekin na mustafa ka jawaab hoga jo chehra nikle to hogi sub.h jo zulf bikhre to raat hogi paseena un ka girega jis par wahi to zarra gulaab hoga ba-roz-...

क्यूँ चाँद में खोए हो उलझे हो सितारों में / Kyun Chand Mein Khoye Ho Uljhe Ho Sitaron Mein

क्यूँ चाँद में खोए हो, उलझे हो सितारों में आक़ा को मेरे ढूँडो क़ुरआन के पारों में उन के ही पसीने की ख़ुश्बू है बहारों में उन की ही तजल्ली है इन चाँद-सितारों में सरकार-ए-दो-'आलम की उल्फ़त में जो मरते हैं अल्लाह के वो बंदे ज़िंदा हैं मज़ारों में ऐ काश ! कबूतर ही हम बन के रहे होते उस गुंबद-ए-ख़ज़रा के पुर-नूर मिनारों में जिब्रील-ए-अमीं बोले, सिदरा के मकीं बोले तुम सा न हसीं देखा लाखों में हज़ारों में रिज़वाँ ! तेरी जन्नत को देखूँ जो मिले फ़ुर्सत खोई हैं अभी नज़रें तयबा के नज़ारों में आ तुझ को बता दूँ कि जन्नत किसे कहते हैं आ बैठ ज़रा मिल कर हम दर्द के मारों में अल्लाह ने उम्मत की बख़्शिश का किया वा'दा महबूब को जब देखा रोते हुए ग़ारों में तयबा के फ़क़ीरों की ठोकर में ज़माना है तारीख़ बताती है ये राज़ इशारों में ना'त-ख़्वाँ: तसनीम आरिफ़ सय्यिद रेहान क़ादरी जावेद रज़ा kyu.n chaand me.n khoye ho, uljhe ho sitaaro.n me.n aaqa ko mere DhoonDo qur.aan ke paaro.n me.n un ke hi paseene ki KHushboo hai bahaaro.n me.n un ki hi tajalli hai in chaand-sitaaro.n me.n s...

मस्कन-ए-मुस्तफ़ा मदीना है | क्या बताऊँ कि क्या मदीना है तज़मीन के साथ / Maskan-e-Mustafa Madina Hai | Kya Bataun Ki Kya Madina Hai With Tazmeen

मस्कन-ए-मुस्तफ़ा मदीना है रहमतों से भरा मदीना है 'अक़्ल से मा-वरा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है बस मेरा मुद्द'आ मदीना है पी के जाम-ए-वफ़ा क़रीने से आह निकली है मेरे सीने से क्यूँ मुझे रोकते हो जीने से उठ के जाऊँ कहाँ मदीने से क्या कोई दूसरा मदीना है उस के क़दमों की धूर तो देखो उस का कैफ़-ओ-सुरूर तो देखो देखने का श'ऊर तो देखो उस की आँखों का नूर तो देखो जिस का देखा हुवा मदीना है सामने हों तो गीत गाते हैं पीठ पीछे बुराई करते हैं बे-वफ़ाई का खेल रचते हैं दुनिया वाले तो दर्द देते हैं ज़ख़्मी दिल की दवा मदीना है ग़ैर के दर पे क्यूँ झुकाएँ जबीं कोई हाजत नहीं कि जाएँ कहीं हो ख़ज़ाना हो या कि ख़ुल्द-ए-बरीं दिल में अब कोई आरज़ू ही नहीं या मुहम्मद है या मदीना है मेरे, तफ़्सीर ! हैं वही दिलबर मुझ से कमतर को कर दिया बर-तर क्या 'अजब इस में है ? कहूँ मैं अगर दिल फ़िदा है मदीने वाले पर दिल, मुनव्वर ! मेरा मदीना है कलाम: - तज़मीन: तफ़्सीर रज़ा अमजदी ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद हस्सानुल्लाह हुसैनी maskan-e-mustafa madina hai rahmato....

अश्कों की गुज़ारिश है ये सरकार-ए-मदीना / Ashkon Ki Guzarish Hai Ye Sarkar-e-Madina

या रसूलल्लाह ! या रसूलल्लाह ! या रसूलल्लाह ! गर तुम न सुनोगे तो मेरी कौन सुनेगा गर तुम न करोगे तो करम कौन करेगा टाले से भिकारी न टला है न टलेगा झोली को मेरी तेरे सिवा कौन भरेगा अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! हो जाए मुयस्सर कभी दीदार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! बे-दाम यहाँ बिकते हैं यूसुफ़ के ख़रीदार बाज़ार-ए-मदीना है ये बाज़ार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! बुलवाएँगे मुझ को भी शहंशाह-ए-दो-'आलम देखूँगा कभी आँखों से अनवार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! हर ग़ुंचा-ओ-गुल पर है फ़िदा तल'अत-ए-फ़िरदौस देखो तो ज़रा निकहत-ए-गुलज़ार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! मे'राज-ए-बसारत इसे कहिए कि न कहिए आते हैं नज़र दूर से मीनार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! 'उक़्बा में हर इक ग़म से मैं आज़ाद रहूँगा दुनिया में जो, फ़ाज़िल ! हूँ गिरिफ़्तार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! बड़ी उम्मीद है सरकार क़दमों में बुलाएँगे करम की जब नज़र होगी मदीने हम भी जाएँगे अगर जाना ...

बयाँ हो किस ज़बाँ से मर्तबा सिद्दीक़-ए-अकबर का / Bayan Ho Kis Zaban Se Martaba Siddiq-e-Akbar Ka

बयाँ हो किस ज़बाँ से मर्तबा सिद्दीक़-ए-अकबर का है यार-ए-ग़ार महबूब-ए-ख़ुदा सिद्दीक़-ए-अकबर का इलाही ! रहम फ़रमा ख़ादिम-ए-सिद्दीक़-ए-अकबर हूँ तेरी रहमत के सदक़े, वास्ता सिद्दीक़-ए-अकबर का रुसुल और अंबिया के बा'द जो अफ़ज़ल हो 'आलम से ये 'आलम में है किस का मर्तबा ? सिद्दीक़-ए-अकबर का गदा सिद्दीक़-ए-अकबर का ख़ुदा से फ़ज़्ल पाता है ख़ुदा के फ़ज़्ल से मैं हूँ गदा सिद्दीक़-ए-अकबर का हुए फ़ारूक़-ओ-'उस्मान-ओ-'अली जब दाख़िल-ए-बै'अत बना फ़ख़्र-ए-सलासिल सिलसिला सिद्दीक़-ए-अकबर का नबी का और ख़ुदा का मद्ह-गो सिद्दीक़-ए-अकबर है नबी सिद्दीक़-ए-अकबर का, ख़ुदा सिद्दीक़-ए-अकबर का 'अली हैं उस के दुश्मन और वो दुश्मन 'अली का है जो दुश्मन 'अक़्ल का, दुश्मन हुआ सिद्दीक़-ए-अकबर का लुटाया राह-ए-हक़ में घर कई बार इस मोहब्बत से कि लुट लुट कर, हसन ! घर बन गया सिद्दीक़-ए-अकबर का शायर: मौलाना हसन रज़ा ख़ान ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी bayaa.n ho kis zabaa.n se martaba siddiq-e-akbar ka hai yaar-e-Gaar mahboob-e-KHuda siddiq-e-akbar ka ilaahi ! rahm farma KHaadim-e-siddiq-e-a...

सालार-ए-सहाबा वो पहला ख़लीफ़ा | सरकार का प्यारा सिद्दीक़ हमारा | हर सुन्नी का नारा सिद्दीक़ हमारा / Salar-e-Sahaba Wo Pehla Khalifa | Sarkar Ka Pyara Siddiq Hamara | Har Sunni Ka Pyara Siddiq Hamara

अना मजनून, मजनून, मजनूनु-सिद्दीक़ अना मजनून, मजनून, मजनूनु-सिद्दीक़ परवाने को चराग़ तो बुलबुल को फूल बस सिद्दीक़ के लिए है ख़ुदा का रसूल बस सालार-ए-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा हर सुन्नी का ना'रा, सिद्दीक़ हमारा मुस्तफ़ा का हम-सफ़र ! अबू-बकर अबू-बकर ! गली-गली नगर-नगर ! अबू-बकर अबू-बकर ! लुटाया जिस ने अपना घर ! अबू-बकर अबू-बकर ! नहीं है जिस को कोई डर ! अबू-बकर अबू-बकर ! है चर्चे जिस के 'अर्श पर ! अबू-बकर अबू-बकर ! लगेगा नारा फ़र्श पर ! अबू-बकर अबू-बकर ! दुनिया-ए-सदाक़त में तेरा नाम रहेगा सिद्दीक़ तेरे नाम से इस्लाम रहेगा सालार-ए-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा हर सुन्नी का ना'रा, सिद्दीक़ हमारा हर नस्ल तेरे काम की तजदीद करेगी जब तक रहेगी दुनिया तेरा नाम रहेगा सालार-ए-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा हर सुन्नी का ना'रा, सिद्दीक़ हमारा मुस्तफ़ा का हम-सफ़र ! अबू-बकर अबू-बकर ! गली-गली नगर-नगर ! अबू-बकर अबू-बकर ! लुटाया जिस ने अपना घर ! अबू-बकर अबू-बकर ! नहीं है जिस को कोई डर ! अबू-बकर अबू-बकर ! है चर्...

दोनों आलम का दाता हमारा नबी / Dono Aalam Ka Data Hamara Nabi

दोनों 'आलम का दाता हमारा नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! दोनों 'आलम की आँखों का तारा नबी शान वाला नबी, ताज वाला नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! बोले जिब्रील, यूँ तो हैं लाखों नबी कोई तुझ सा न देखा नबी, या नबी ! है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! ख़ुद ख़ुदा जिस पे पढ़ता हो, सल्ले-'अला कौन है जुज़ मुहम्मद के ऐसा नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! जिस की 'अज़मत के डंके बजे चार-सू वो है मेरा नबी, है वो मेरा नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! अल्लाह अल्लाह मदीने की रंगीनियाँ जल्वा-गर है जहाँ पे ख़ुदा का नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी...